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"दोहा प्रभाकर: छंद और जीवन का संगम"

"दोहा प्रभाकर: छंद और जीवन का संगम"

著者: रमेश चौहान
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このコンテンツについて

"दोहा प्रभाकर" पॉडकास्ट में आपका स्वागत है—जहां हम हिंदी काव्य की सबसे लोकप्रिय और गेय छंद विधा दोहे की गहराइयों में उतरेंगे। हम दोहे के शिल्प विधान, मात्रा गणना, गुरु-लघु विन्यास, और गणों की बारीकियों को समझेंगे। साथ ही, हम प्रेरणादायक, आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दोहों का पाठ व विश्लेषण करेंगे—ताकि श्रोताओं को छंद ज्ञान के साथ-साथ जीवन दर्शन भी मिल सके। इस शो में आपको मिलेगा: छंद शास्त्र और दोहे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, दोहा लेखन के तकनीकी नियम, विभिन्न प्रकार के दोहों के उदाहरण, समकालीन संदर्भ में दोहा का महत्व, कवि-हृदय से झांकते जीवन के अनुभव और संदेश । #HindiPoetry #DohaChhandरमेश चौहान アート 文学史・文学批評
エピソード
  • “अध्यात्म चिंतन के दोहे – जीवन का सच्चा मार्ग”
    2025/08/15

    दोहा प्रभाकर पॉडकास्ट शो की इस आठवीं कड़ी में प्रस्तुत हैं गहन आध्यात्मिक चिंतन से परिपूर्ण दोहे, जो जीवन की अस्थिरता, कर्म की महत्ता और मानवता के मूल्यों पर प्रकाश डालते हैं।
    इन पंक्तियों में मनुष्य को याद दिलाया गया है कि जीवन एक यात्री की तरह है—काया अस्थायी है, लेकिन कर्म शाश्वत। दोहे ईश्वर-भक्ति, लोभ-मोह से मुक्ति, धर्म की सही परिभाषा, और मानवता की राह पर चलने का संदेश देते हैं।
    कभी कमल के पत्ते की तरह संसार में रहकर भी निष्कलंक रहने की प्रेरणा मिलती है, तो कभी ‘मेरा–मेरा’ के मोहजाल से मुक्त होकर सेवा, सत्य, और प्रेम का पथ अपनाने का आह्वान।
    यह काव्य यात्रा हमें सिखाती है कि धर्म का सार कट्टरता में नहीं, बल्कि विश्वास, करुणा और मानवता में है—और यही जीवन का सच्चा उद्धार है।

    इस पॉडकास्ट शो के आधार ग्रंथ 'दोहा प्रभाकर' यहां से प्राप्त करें- दोहा प्रभाकर

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    15 分
  • भक्ति और वंदन के दोहे
    2025/08/13

    यह "दोहा प्रभाकर'' के भक्ति और वंदन" खण् से लिया गया अंश है, जिसमें रमेश चौहान द्वारा रचित दोहों का पाठ और उन पर चर्चा की गई है। ये दोहे मुख्य रूप से भक्ति और वंदन पर केंद्रित हैं, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं जैसे गणपति, कृष्ण, राम, हनुमान और माता दुर्गा की स्तुति की गई है। वे सनातन धर्म के मूल्यों, जैसे माता-पिता का सम्मान और ईश्वर के प्रति श्रद्धा को भी दर्शाते हैं। ये पद ईश्वर से कुछ मांगने के बजाय पूर्ण समर्पण और विश्वास पर जोर देते हैं, यह मानते हुए कि ईश्वर हमेशा साथ है और सभी की देखभाल करता है। अंत में, यह राष्ट्रप्रेम और देश के गौरव के लिए भी प्रार्थना करता है, जो आध्यात्मिक भक्ति को देशभक्ति की भावना से जोड़ता है। पहले इन दोहों पर चर्चा की गई फिर अंत में इन दोहों का मूल पाठ दिया गया है ।

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    11 分
  • दोहा: शिल्प और प्रयोग
    2025/08/05

    इस कड़ी में रमेश चौहान की दोहा प्रभाकर के "दोहा: शिल्प और प्रयोग" खण्ड़ से लिए गए उद्धरण दोहे की प्रकृति और इसके विभिन्न काव्यात्मक अनुप्रयोगों का विवरण प्रस्तुत है। यह दोहे को एक मुक्तक छंद के रूप में परिभाषित करता है जो एक ही इकाई में पूर्ण अर्थ समाहित करता है, अक्सर "गागर में सागर" के समान भाव व्यक्त करता है। इसमें पारंपरिक दोहे के अलावा दोहा-गीत, सिंहावलोकनी दोहा, और दोहा मुक्तक जैसे नए प्रयोगात्मक रूपों की भी चर्चा है, जो दोहे के अंतर्निहित गेय गुणों और इसकी अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित करते हैं। उदाहरणों के माध्यम से, यह दोहे की शिल्पगत विशेषताओं को स्पष्ट करता है, जैसे कि शब्दों का सटीक चयन और विभिन्न रचनाओं में तुक और विन्यास का समावेश। कुल मिलाकर, पाठ दोहे की कालजयी अपील और आधुनिक काव्यात्मक संदर्भों में इसकी बहुमुखी प्रतिभा को रेखांकित करता है।

    इस पॉडकास्ट शो के आधार ग्रंथ 'दोहा प्रभाकर' यहां से प्राप्त करें- दोहा प्रभाकर

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    7 分
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