『Bhagavad Gita 18.68-18.69』のカバーアート

Bhagavad Gita 18.68-18.69

Bhagavad Gita 18.68-18.69

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य इदं परमं गुह्यं मद्भक्तेष्वभिधास्यति।

भक्तिं मयि परां कृत्वा मामेवैष्यत्यसंशयः ॥

(भगवद् गीता १८.६८)


भगवद् गीता का यह श्लोक जो Iskcon संस्था का आधार है, उसका वास्तविक अर्थ क्या है ? किस प्रकार भक्त भगवान् का प्रिय बन सकता है ?

Bhagavad Gita 18.68-18.69に寄せられたリスナーの声

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