• Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 24

  • 2025/02/13
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Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 24

  • サマリー

  • यह श्लोक श्रीमद्भगवद गीता के 17.24 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण "ॐ" के महत्व और उसके उपयोग का वर्णन करते हुए कहते हैं:

    "इसलिए 'ॐ' उच्चारण के साथ, यज्ञ, दान और तप की क्रियाएँ वैदिक विधानों के अनुसार प्रारंभ की जाती हैं, जैसा कि ब्रह्मविद्या में पारंगत लोग करते हैं।"

    भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह समझा रहे हैं कि 'ॐ' परमात्मा का प्रतीक है और यह वैदिक कर्मों को पवित्र और प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है। यज्ञ, दान और तप जैसे कार्य जब श्रद्धा और विधिपूर्वक 'ॐ' के साथ किए जाते हैं, तो वे अधिक शुभ और फलदायी हो जाते हैं।

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あらすじ・解説

यह श्लोक श्रीमद्भगवद गीता के 17.24 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण "ॐ" के महत्व और उसके उपयोग का वर्णन करते हुए कहते हैं:

"इसलिए 'ॐ' उच्चारण के साथ, यज्ञ, दान और तप की क्रियाएँ वैदिक विधानों के अनुसार प्रारंभ की जाती हैं, जैसा कि ब्रह्मविद्या में पारंगत लोग करते हैं।"

भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह समझा रहे हैं कि 'ॐ' परमात्मा का प्रतीक है और यह वैदिक कर्मों को पवित्र और प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है। यज्ञ, दान और तप जैसे कार्य जब श्रद्धा और विधिपूर्वक 'ॐ' के साथ किए जाते हैं, तो वे अधिक शुभ और फलदायी हो जाते हैं।

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