• Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 73

  • 2025/01/28
  • 再生時間: 1 分
  • ポッドキャスト

Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 73

  • サマリー

  • यह श्लोक श्री भगवद गीता के 3.73 का अंश है। इसमें अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से कहते हैं:

    "हे अच्युत! मेरा मोह समाप्त हो चुका है, और स्मृति प्राप्त हुई है। आपके प्रसाद से मेरा संदेह दूर हो गया है। अब मैं स्थिर हूं और जो आप कहेंगे, वही करूंगा।"

    अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को पूरी तरह से समझ लिया है और उनका अज्ञान और भ्रम समाप्त हो चुका है। अब वह अपने संदेहों को छोड़कर श्री कृष्ण के निर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं।

    Here are some hashtags you can use:

    #BhagavadGita #Arjuna #Krishna #DivineWisdom #SpiritualAwakening #SelfRealization #Moksha #GitaShloka #SanatanDharma #AncientPhilosophy #InnerPeace #Faith #SpiritualGrowth #SelfAwareness #Clarity #Guidance

    続きを読む 一部表示

あらすじ・解説

यह श्लोक श्री भगवद गीता के 3.73 का अंश है। इसमें अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से कहते हैं:

"हे अच्युत! मेरा मोह समाप्त हो चुका है, और स्मृति प्राप्त हुई है। आपके प्रसाद से मेरा संदेह दूर हो गया है। अब मैं स्थिर हूं और जो आप कहेंगे, वही करूंगा।"

अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को पूरी तरह से समझ लिया है और उनका अज्ञान और भ्रम समाप्त हो चुका है। अब वह अपने संदेहों को छोड़कर श्री कृष्ण के निर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं।

Here are some hashtags you can use:

#BhagavadGita #Arjuna #Krishna #DivineWisdom #SpiritualAwakening #SelfRealization #Moksha #GitaShloka #SanatanDharma #AncientPhilosophy #InnerPeace #Faith #SpiritualGrowth #SelfAwareness #Clarity #Guidance

activate_buybox_copy_target_t1

Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 73に寄せられたリスナーの声

カスタマーレビュー:以下のタブを選択することで、他のサイトのレビューをご覧になれます。