• इसे तुम कविता नहीं कह सकते

  • 著者: Lokesh Gulyani
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते

著者: Lokesh Gulyani
  • サマリー

  • Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
    Copyright Lokesh Gulyani
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あらすじ・解説

Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
Copyright Lokesh Gulyani
エピソード
  • पहचान मेरी
    2024/11/29
    मैं गिरता जा रहा हूँ, साल दर साल। झुकी नज़रें, झुकी कमर, एक झुका हुआ इंसान। कोई प्रतिक्रिया देने में इच्छुक नहीं, दुनियां जाए भाड़ में। जीभ पर फैला कड़वापन कुछ भी बोलने से रोकता है। बोलूंगा तो वो तीखा ही होगा।
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    3 分
  • Episode 25 - हुनर
    2024/11/29
    जिस दिन मालिक घिसाई को नीलम दे देता, उसे ख़ुद की सुध बुध न रहती, उसकी हालत, देसी दारू के ठेके के बाहर उकडू बैठे, दारुड़ियो सी हो जाती।
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    2 分
  • Episode 24 - सर्वर डाउन है
    2024/11/29
    कुछ टिकट मेरे जीवन में धरे के धरे रह गए। उन पर मैने यात्रा नहीं की। कभी–कभी सोचता हूं यदि कर ली होती तो जीवन क्या होता? क्या मैं वही आदमी रहता जो अब हूं?
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    2 分

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