• "श्री भगवद गीता | अनन्य भक्ति से ही भगवान की प्राप्ति | अध्याय 11 श्लोक 55 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 55"
    2025/05/16

    📜 Description:

    "॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 55 ॥"

    🔹 संस्कृत श्लोक:
    श्रीभगवानुवाच |
    "मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्त: सङ्गवर्जित: |
    निर्वैर: सर्वभूतेषु य: स मामेति पाण्डव || 55||"

    🔹 श्लोक अर्थ:
    भगवान श्रीकृष्ण ने कहा:
    "हे पाण्डव! जो व्यक्ति मेरे लिए कार्य करता है, मुझे ही परम मानता है, मेरा भक्त है, सब प्रकार के आसक्तियों से मुक्त है और सभी प्राणियों से द्वेष रहित है, वही मुझे प्राप्त करता है।"

    🔹 व्याख्या:

    • इस श्लोक में श्रीकृष्ण भक्ति योग के मार्ग को स्पष्ट करते हैं।
    • भगवान कहते हैं कि जो व्यक्ति भगवान के लिए कार्य करता है, केवल उन्हें ही अपना परम उद्देश्य मानता है और निष्काम भक्ति करता है, वही उन्हें प्राप्त करता है।
    • सच्चा भक्त किसी से द्वेष नहीं करता और सभी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता है।
    • ऐसा व्यक्ति सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर केवल ईश्वर की सेवा में तत्पर रहता है।

    📌 महत्वपूर्ण संदेश:
    केवल भक्ति से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है।
    स्वार्थहीन प्रेम और सेवा ही भक्ति का मूल है।
    सभी प्राणियों से प्रेम और किसी से भी द्वेष न रखना भक्त के लिए अनिवार्य है।
    भगवान को पाने के लिए मन, वचन और कर्म से उन्हें समर्पित रहना आवश्यक है।

    🌿 "सच्ची भक्ति में निहित प्रेम और समर्पण ही हमें भगवान के समीप ले जाता है!"

    📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और अपने मन को शुद्ध करें।

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    🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"

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  • "श्री भगवद गीता | भक्ति से ही भगवान का साक्षात्कार संभव | अध्याय 11 श्लोक 53 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 53"
    2025/05/15
    📜 Description:"॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 53 ॥"🔹 संस्कृत श्लोक:श्रीभगवानुवाच |"नाहं वेदैर्न तपसा न दानेन न चेज्यया |शक्य एवंविधो द्रष्टुं दृष्टवानसि मां यथा || 53||"🔹 श्लोक अर्थ:भगवान श्रीकृष्ण ने कहा:"हे अर्जुन! न वेदों के अध्ययन से, न कठोर तप से, न दान से और न ही यज्ञों से, इस प्रकार मेरा दर्शन किया जा सकता है, जैसा तुमने मुझे देखा है।"🔹 व्याख्या:इस श्लोक में श्रीकृष्ण बताते हैं कि ईश्वर के दिव्य दर्शन केवल बाह्य आडंबरों से संभव नहीं होते।न ही वेदों का अध्ययन, न कठोर तपस्या, न दान, और न यज्ञ—इनमें से कोई भी प्रत्यक्ष रूप से भगवान के साक्षात्कार की गारंटी नहीं देता।भगवान को जानने और देखने का सबसे प्रभावी मार्ग भक्ति है।अर्जुन ने श्रीकृष्ण के विराट रूप का साक्षात्कार केवल इसलिए किया क्योंकि वह भगवान का प्रिय भक्त था और पूर्ण समर्पण भाव रखता था।यह श्लोक हमें सिखाता है कि ईश्वर को प्राप्त करने के लिए केवल बाह्य अनुष्ठान पर्याप्त नहीं, बल्कि सच्चे हृदय से समर्पण और भक्ति आवश्यक है।📌 महत्वपूर्ण संदेश:✅ शास्त्रों, यज्ञों, और दानों से भी भगवान के दर्शन की गारंटी नहीं है।✅ सच्ची भक्ति और समर्पण ही भगवान तक पहुंचने का सर्वोत्तम मार्ग है।✅ केवल ज्ञान अर्जन से नहीं, बल्कि प्रेमपूर्वक भक्ति करने से भगवान कृपा करते हैं।✅ श्रीकृष्ण की भक्ति ही मोक्ष प्राप्ति का श्रेष्ठ मार्ग है।🌿 "ईश्वर का साक्षात्कार भक्ति के माध्यम से ही संभव है, न कि केवल बाहरी अनुष्ठानों से!"📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और अपने मन को शुद्ध करें।🔔 चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं ताकि आपको और भी आध्यात्मिक वीडियो मिलते रहें।🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"#ShriBhagavadGita #BhagavadGita #GitaShlok #ShriKrishna #KrishnaBhakti #Spirituality #BhagavadGitaQuotes #HinduScriptures #GitaSaar #VishwaroopDarshan #Mahabharata #KrishnaConsciousness #Hinduism #सनातनधर्म #श्रीभगवद्गीता #गीता_सार #भगवान_श्रीकृष्ण #भगवद_गीता_उपदेश #गीता_श्लोक #भगवान_की_कृपा #श्रीकृष्ण_की_महिमा #भक्ति_मार्ग #कृष्ण_का_संदेश #विराट_रूप #दिव्य_दर्शन #मोक्ष_मार्ग📖 अब इस श्लोक को पढ़ें, चिंतन करें और श्रीकृष्ण की भक्ति में मग्न हों। 🙏✨🚀 अगर आपको यह पसंद आया हो, तो वीडियो/ऑडियो बनाकर इसे साझा करें! 🚩🏷 Tags (SEO Keywords for YouTube):cssCopyEditShri Bhagavad Gita, Bhagavad Gita Chapter 11, Bhagavad Gita Verse 53, Bhagavad Gita Hindi, श्रीमद्भगवद्गीता, Shrimad Bhagavad Gita, Gita Saar, Krishna Updesh, Mahabharat Gita, ...
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  • "श्री भगवद गीता | केवल भक्ति से ही भगवान का साक्षात्कार संभव | अध्याय 11 श्लोक 54 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 54"
    2025/05/15
    📜 Description:"॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 54 ॥"🔹 संस्कृत श्लोक:श्रीभगवानुवाच |"भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन |ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्त्वेन प्रवेष्टुं च परन्तप || 54||"🔹 श्लोक अर्थ:भगवान श्रीकृष्ण ने कहा:"हे अर्जुन! केवल अनन्य भक्ति के द्वारा ही मैं इस स्वरूप में जाना, प्रत्यक्ष देखा और तत्वतः प्राप्त किया जा सकता हूँ।"🔹 व्याख्या:इस श्लोक में श्रीकृष्ण भक्ति योग के महत्व को स्पष्ट करते हैं।भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि केवल अनन्य भक्ति के माध्यम से ही व्यक्ति उन्हें जान सकता है, देख सकता है और उनके दिव्य धाम में प्रवेश कर सकता है।ज्ञान, तपस्या, यज्ञ, दान आदि के माध्यम से भगवान को प्राप्त करना कठिन है, लेकिन सच्ची भक्ति से भगवान सहज ही मिल जाते हैं।यह श्लोक हमें सिखाता है कि ईश्वर की कृपा पाने के लिए मन, वचन और कर्म से पूर्ण समर्पण आवश्यक है।📌 महत्वपूर्ण संदेश:✅ ईश्वर को पाने के लिए केवल अनन्य भक्ति आवश्यक है।✅ सच्ची भक्ति से भगवान को तत्वतः जाना और प्रत्यक्ष देखा जा सकता है।✅ जो सच्चे हृदय से भगवान की शरण में आता है, वही उनके धाम में प्रवेश कर सकता है।✅ श्रीकृष्ण को केवल श्रद्धा और प्रेम से ही प्राप्त किया जा सकता है, न कि केवल ज्ञान और कर्म से।🌿 "भगवान को पाना है तो संपूर्ण श्रद्धा और प्रेम से उनकी भक्ति करें!"📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और अपने मन को शुद्ध करें।🔔 चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं ताकि आपको और भी आध्यात्मिक वीडियो मिलते रहें।🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"#ShriBhagavadGita #BhagavadGita #GitaShlok #ShriKrishna #KrishnaBhakti #Spirituality #BhagavadGitaQuotes #HinduScriptures #GitaSaar #VishwaroopDarshan #Mahabharata #KrishnaConsciousness #Hinduism #सनातनधर्म #श्रीभगवद्गीता #गीता_सार #भगवान_श्रीकृष्ण #भगवद_गीता_उपदेश #गीता_श्लोक #भगवान_की_कृपा #श्रीकृष्ण_की_महिमा #भक्ति_मार्ग #कृष्ण_का_संदेश #दिव्य_दर्शन #मोक्ष_मार्ग📖 अब इस श्लोक को पढ़ें, चिंतन करें और श्रीकृष्ण की भक्ति में मग्न हों। 🙏✨🚀 अगर आपको यह पसंद आया हो, तो वीडियो/ऑडियो बनाकर इसे साझा करें! 🚩🏷 Tags (SEO Keywords for YouTube):cssCopyEditShri Bhagavad Gita, Bhagavad Gita Chapter 11, Bhagavad Gita Verse 54, Bhagavad Gita Hindi, श्रीमद्भगवद्गीता, Shrimad Bhagavad Gita, Gita Saar, Krishna Updesh, Mahabharat Gita, Hindu Spirituality, Krishna Quotes, Krishna Bhakti, Krishna Bhagwan, Hinduism, Bhagavad Gita Explained, Gita Shlok, Gita Chanting, Vishwaroop Darshan, Bhagavad Gita Teachings, Krishna Leela, Spiritual Awakening, Hindu Scriptures, गीता सार, भगवद गीता श्लोक, भगवान श्रीकृष्ण, गीता व्याख्या, ...
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  • "श्री भगवद गीता | भगवान के दिव्य रूप का दुर्लभ दर्शन | अध्याय 11 श्लोक 52 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 52"
    2025/05/14
    📜 Description:"॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 52 ॥"🔹 संस्कृत श्लोक:श्रीभगवानुवाच |"सुदुर्दर्शमिदं रूपं दृष्टवानसि यन्मम |देवा अप्यस्य रूपस्य नित्यं दर्शनकाङ्क्षिण: || 52||"🔹 श्लोक अर्थ:भगवान श्रीकृष्ण ने कहा:"हे अर्जुन! जो रूप तुमने देखा है, वह अत्यंत दुर्लभ है।यह रूप तो देवता भी नित्य देखने के लिए लालायित रहते हैं।"🔹 व्याख्या:श्रीकृष्ण के विराट रूप का दर्शन करना अत्यंत दुर्लभ और दुर्लभतम अनुभव है।स्वयं देवतागण भी इस रूप को देखने के लिए सदा उत्सुक रहते हैं, किंतु उन्हें यह सहजता से प्राप्त नहीं होता।श्रीकृष्ण ने अपनी कृपा से अर्जुन को यह दर्शन दिया, क्योंकि वह निःस्वार्थ भाव से भगवान की शरण में आया था।इस श्लोक से हमें यह सीख मिलती है कि भक्त के प्रेम और समर्पण से भगवान अपनी अद्भुत शक्तियों का दर्शन कराते हैं।📌 महत्वपूर्ण संदेश:✅ भगवान का विराट रूप दुर्लभ है, लेकिन उनकी कृपा से भक्त इसे देख सकता है।✅ देवतागण भी इस दिव्य रूप के दर्शन के लिए लालायित रहते हैं।✅ भगवान को प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग प्रेम, श्रद्धा और समर्पण है।✅ हम भी श्रीकृष्ण की भक्ति करके उनके दिव्य स्वरूप का अनुभव कर सकते हैं।🌿 "जिसे स्वयं देवता भी दुर्लभ मानते हैं, वह कृपापूर्वक अर्जुन को दिया गया। यही भक्ति का चमत्कार है!"📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और अपने मन को शुद्ध करें।🔔 चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं ताकि आपको और भी आध्यात्मिक वीडियो मिलते रहें।🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"#ShriBhagavadGita #BhagavadGita #GitaShlok #ShriKrishna #KrishnaBhakti #Spirituality #BhagavadGitaQuotes #HinduScriptures #GitaSaar #VishwaroopDarshan #Mahabharata #KrishnaConsciousness #Hinduism #सनातनधर्म #श्रीभगवद्गीता #गीता_सार #भगवान_श्रीकृष्ण #भगवद_गीता_उपदेश #गीता_श्लोक #भगवान_की_कृपा #श्रीकृष्ण_की_महिमा #भक्ति_मार्ग #कृष्ण_का_संदेश #विराट_रूप #दुर्लभ_दर्शन📖 अब इस श्लोक को पढ़ें, चिंतन करें और श्रीकृष्ण की भक्ति में मग्न हों। 🙏✨🚀 अगर आपको यह पसंद आया हो, तो वीडियो/ऑडियो बनाकर इसे साझा करें! 🚩🏷 Tags (SEO Keywords for YouTube):cssCopyEditShri Bhagavad Gita, Bhagavad Gita Chapter 11, Bhagavad Gita Verse 52, Bhagavad Gita Hindi, श्रीमद्भगवद्गीता, Shrimad Bhagavad Gita, Gita Saar, Krishna Updesh, Mahabharat Gita, Hindu Spirituality, Krishna Quotes, Krishna Bhakti, Krishna Bhagwan, Hinduism, Bhagavad Gita Explained, Gita Shlok, Gita Chanting, Vishwaroop Darshan, Bhagavad Gita Teachings, Krishna Leela, Spiritual Awakening, Hindu Scriptures, गीता सार, भगवद गीता श्लोक, भगवान श्रीकृष्ण, गीता व्याख्या, श्रीकृष्ण उपदेश, सनातन ...
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  • श्री भगवद गीता | अर्जुन को पुनः शांति प्राप्ति | अध्याय 11 श्लोक 51 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 51"
    2025/05/14

    📜 Description:

    "॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 51 ॥"

    🔹 संस्कृत श्लोक:
    अर्जुन उवाच |
    "दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तव सौम्यं जनार्दन |
    इदानीमस्मि संवृत्त: सचेता: प्रकृतिं गत: || 51||"

    🔹 श्लोक अर्थ:
    अर्जुन बोले:
    "हे जनार्दन! अब मैंने आपका यह सौम्य (मधुर) मानुषी रूप देख लिया है।
    अब मैं अपने होश में आ गया हूँ और मेरी स्वाभाविक स्थिति लौट आई है।"

    🔹 व्याख्या:

    • अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के विराट रूप को देखकर अत्यंत भयभीत हो गए थे।
    • जब श्रीकृष्ण ने पुनः अपना सौम्य रूप धारण किया, तब अर्जुन को शांति और आत्मसंयम प्राप्त हुआ।
    • यह दर्शाता है कि मनुष्य के लिए भगवान का सहज, कृपालु रूप ही अधिक उपयुक्त और प्रिय होता है।
    • भगवान चाहे कितने भी विराट और अद्भुत हों, भक्त के लिए वे हमेशा सुलभ और प्रेममयी होते हैं।

    📌 महत्वपूर्ण संदेश:
    सच्ची शांति केवल भगवान की शरण में जाने से ही मिलती है।
    डर और भ्रम से मुक्त होकर, अर्जुन अब पुनः अपने कर्तव्य के लिए तैयार हो जाते हैं।
    भगवान केवल शक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि करुणा और प्रेम के साकार रूप भी हैं।

    🌿 यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि जब भी जीवन में भ्रम और भय उत्पन्न हो, तब भगवान की भक्ति से हम पुनः अपनी प्रकृति में लौट सकते हैं।

    📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और अपने मन को शांति दें।

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    🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"

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  • "श्री भगवद गीता | भगवान श्रीकृष्ण का सौम्य रूप – अर्जुन को सांत्वना | अध्याय 11 श्लोक 50 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 50"
    2025/05/13

    📜 Description:

    "॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 50 ॥"

    🔹 संस्कृत श्लोक:
    सञ्जय उवाच |
    "इत्यर्जुनं वासुदेवस्तथोक्त्वा
    स्वकं रूपं दर्शयामास भूय: |
    आश्वासयामास च भीतमेनं
    भूत्वा पुन: सौम्यवपुर्महात्मा || 50||"

    🔹 श्लोक अर्थ:
    संजय कहते हैं:
    "इस प्रकार वासुदेव श्रीकृष्ण ने अर्जुन से बातें करने के बाद,
    फिर से अपना दिव्य रूप प्रकट किया।
    डरे हुए अर्जुन को सांत्वना देते हुए,
    वे पुनः अपने सौम्य (मधुर और शांत) रूप में आ गए।"

    🔹 व्याख्या:
    इस श्लोक में संजय, धृतराष्ट्र को बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपना विराट रूप त्यागकर फिर से अपने सामान्य रूप में लौट आए।
    यह देखकर अर्जुन को शांति और संतोष प्राप्त हुआ।

    📌 महत्वपूर्ण संदेश:

    • भगवान अपने भक्तों को भय में नहीं रखना चाहते।
    • वे विराट और सौम्य दोनों रूपों में उपस्थित हैं, लेकिन भक्तों के लिए वे सदा कृपालु ही रहते हैं।
    • जब हम अपने जीवन में संघर्षों से घबराते हैं, तब हमें भगवान की भक्ति से शांति प्राप्त करनी चाहिए।

    🌿 यह श्लोक हमें सिखाता है कि ईश्वर केवल शक्ति और वैभव के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि प्रेम और करुणा के भी मूर्तरूप हैं।

    📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और अपने मन को शांति दें।

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    🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"

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  • "श्री भगवद गीता | भगवान श्रीकृष्ण का सांत्वना संदेश – भय मत करो, भक्ति से शांति पाओ | अध्याय 11 श्लोक 49 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 49"
    2025/05/13
    📜 Description:"॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 49 ॥"🔹 संस्कृत श्लोक:श्रीभगवानुवाच |"मा ते व्यथा मा च विमूढभावोदृष्ट्वा रूपं घोरमीदृङ्ममेदम् |व्यपेतभी: प्रीतमना: पुनस्त्वंतदेव मे रूपमिदं प्रपश्य || 49||"🔹 श्लोक अर्थ:भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:"तुम भयभीत मत हो और न ही मोह में पड़ो।मेरा यह भयानक रूप देखकर तुम्हें जो घबराहट हो रही है, उसे छोड़ दो।निडर और शांत चित्त होकर, मेरे उस दिव्य रूप को फिर से देखो, जो तुम्हारे लिए प्रिय है।"🔹 व्याख्या:इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को आश्वस्त कर रहे हैं कि उनके विराट रूप को देखकर डरने की आवश्यकता नहीं है।श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो भी भक्त सच्चे हृदय से उनकी शरण में आता है, वे उसे न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि उसका भय भी दूर कर देते हैं।यह हमें सिखाता है कि जब भी जीवन में कठिन समय आए, हमें घबराने के बजाय श्रीकृष्ण की भक्ति में मन लगाना चाहिए।🌿 यह श्लोक हमें यह भी बताता है कि भगवान अपने भक्तों को कभी भयभीत नहीं करते, बल्कि उन्हें प्रेम, शांति और सुरक्षा प्रदान करते हैं।📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और अपने मन को शांति दें।🔔 चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं ताकि आपको और भी आध्यात्मिक वीडियो मिलते रहें।🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"#ShriBhagavadGita #BhagavadGita #GitaShlok #ShriKrishna #KrishnaBhakti #Spirituality #BhagavadGitaQuotes #HinduScriptures #GitaSaar #VishwaroopDarshan #Mahabharata #KrishnaConsciousness #Hinduism #सनातनधर्म #श्रीभगवद्गीता #गीता_सार #भगवान_श्रीकृष्ण #भगवद_गीता_उपदेश #गीता_श्लोक #भगवान_की_कृपा #श्रीकृष्ण_की_महिमा #भक्ति_मार्ग #कृष्ण_का_संदेश #संघर्ष_में_शांति📖 अब इस श्लोक को पढ़ें, चिंतन करें और श्रीकृष्ण की शरण में आएं। 🙏✨🚀 अगर आपको यह पसंद आया हो, तो वीडियो/ऑडियो बनाकर इसे साझा करें! 🚩🏷 Tags (SEO Keywords for YouTube):cssCopyEditShri Bhagavad Gita, Bhagavad Gita Chapter 11, Bhagavad Gita Verse 49, Bhagavad Gita Hindi, श्रीमद्भगवद्गीता, Shrimad Bhagavad Gita, Gita Saar, Krishna Updesh, Mahabharat Gita, Hindu Spirituality, Krishna Quotes, Krishna Bhakti, Krishna Bhagwan, Hinduism, Bhagavad Gita Explained, Gita Shlok, Gita Chanting, Vishwaroop Darshan, Bhagavad Gita Teachings, Krishna Leela, Spiritual Awakening, Hindu Scriptures, गीता सार, भगवद गीता श्लोक, भगवान श्रीकृष्ण, गीता व्याख्या, श्रीकृष्ण उपदेश, सनातन धर्म, अर्जुन का समर्पण, भक्ति मार्ग, अध्याय 11 गीता
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  • "श्री भगवद गीता | भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य रहस्य – केवल भक्ति से संभव दर्शन | अध्याय 11 श्लोक 48 | Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 48"
    2025/05/12
    📜 Description:"॥ श्री भगवद गीता - अध्याय 11, श्लोक 48 ॥"🔹 संस्कृत श्लोक:श्रीभगवानुवाच |"न वेदयज्ञाध्ययनैर्न दानै-र्न च क्रियाभिर्न तपोभिरुग्रैः |एवंरूपः शक्य अहं नृलोकेद्रष्टुं त्वदन्येन कुरुप्रवीर || 48||"🔹 श्लोक अर्थ:भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:हे कुरुवंशी वीर अर्जुन!न वेदों के अध्ययन से, न यज्ञों से, न दान से, न कठोर तप से –इस प्रकार के विराट रूप का दर्शन इस नश्वर लोक में अन्य कोई नहीं कर सकता।🔹 व्याख्या:इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि उनके इस दिव्य विराट स्वरूप का दर्शन केवल भक्ति के द्वारा ही संभव है।न ही वेदों के अध्ययन से, न किसी यज्ञ से, न दान से, और न ही कठोर तपस्या से कोई इस रूप को देख सकता है।इसका अर्थ यह है कि ईश्वर को केवल भक्ति, प्रेम और आत्मसमर्पण के द्वारा ही अनुभव किया जा सकता है, न कि मात्र बाहरी कर्मकांडों से।🌿 यह श्लोक हमें सिखाता है कि भगवान को प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है – सच्ची श्रद्धा, प्रेम और समर्पण। केवल बाहरी क्रियाएँ पर्याप्त नहीं हैं, जब तक कि मन में सच्ची भक्ति न हो।📿 "हरे कृष्ण हरे राम" का जप करें और भगवान की कृपा प्राप्त करें।🔔 चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाएं ताकि आपको और भी आध्यात्मिक वीडियो मिलते रहें।🌸 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"#ShriBhagavadGita #BhagavadGita #GitaShlok #ShriKrishna #KrishnaBhakti #Spirituality #BhagavadGitaQuotes #HinduScriptures #GitaSaar #VishwaroopDarshan #Mahabharata #KrishnaConsciousness #Hinduism #सनातनधर्म #श्रीभगवद्गीता #गीता_सार #भगवान_श्रीकृष्ण #भगवद_गीता_उपदेश #गीता_श्लोक #भगवान_की_कृपा #श्रीकृष्ण_की_महिमा #विराट_रूप_का_दर्शन #भक्ति_मार्ग📖 अब इस श्लोक को पढ़ें, चिंतन करें और श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हों। 🙏✨🚀 वीडियो/ऑडियो बनाकर आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाएं!अगर कोई सुधार या अतिरिक्त सुझाव चाहिए, तो बताइए! 🚩😊🏷 Tags (SEO Keywords for YouTube):cssCopyEditShri Bhagavad Gita, Bhagavad Gita Chapter 11, Bhagavad Gita Verse 48, Bhagavad Gita Hindi, श्रीमद्भगवद्गीता, Shrimad Bhagavad Gita, Gita Saar, Krishna Updesh, Mahabharat Gita, Hindu Spirituality, Krishna Quotes, Krishna Bhakti, Krishna Bhagwan, Hinduism, Bhagavad Gita Explained, Gita Shlok, Gita Chanting, Vishwaroop Darshan, Bhagavad Gita Teachings, Krishna Leela, Spiritual Awakening, Hindu Scriptures, गीता सार, भगवद गीता श्लोक, भगवान श्रीकृष्ण, गीता व्याख्या, श्रीकृष्ण उपदेश, सनातन धर्म, अर्जुन का समर्पण, विराट रूप का दर्शन, भक्ति मार्ग, अध्याय 11 गीता
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